जानें, चिंता और चिंतन का वास्तविक अंतर!

दुनिया में शायद ही कोई इंसान ऐसा होगा जिसने अपने जीवन में चिंता ना की हो और इसके विपरीत बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो चिंता होने पर चिंतन का सहारा लेकर चिंता के पैदा होने के कारण को दूर करने का प्रयास करते हैं|

चिंता असफल और भ्रमित लोगों का काम है जबकि चिंतन आपको सफल और सुलझा हुआ बनाएगा|

इस BLOG में, मैं आपको बताऊंगा की चिंता और चिंतन में क्या अंतर हैं, हम चिंता क्यों करते हैं उसका कारण क्या है और आप हर चिंता को चिंतन से कैसे दूर कर सकते हैं? ये सब जानने के लिए इस BLOG को आखिर तक पढ़ें, मेरा वादा है आपसे चिंता से जुड़े आपके सभी confusions आज दूर होने वाले हैं|

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चिंता और चिंतन में अंतर?

अब जल्दी से बिना time ख़राब किये चिंता और चिंतन को समझते हैं|

बिना किसी उदेश्य के किसी भी परिस्थिति, परिणाम या कारण के बारे में सोचना चिंता कहलाता है इसे आसानी से पहचानने का एक तरीका बताता हूँ|

जब किन्हीं विचारों से आपको अशांत मन, अप्रसन्न चित(मूड) तथा जोश या ऊर्जा में कमी का अनुभव हो तो समझ जाना की आप चिंता कर रहे हो और इसे तुरंत छोड़ना है|

जबकि किसी समस्या के समाधान या फिर किसी उद्देश्य से अपनी समझ को बढ़ाने के लिए विचार करना चिंतन कहलाता है| अब कैसे पता चले की आप चिंतन कर रहे हो|

जब आपके विचार आपको एकाग्रता, शांति, उत्साह तथा प्रेम के भावों की तरफ ले जाएं और अंत में आपका मन शांत तथा चित प्रसन्न हो जाए तो समझना की आप चिन्तन ही कर रहे थे|

इसे अच्छे से समझने के लिए चिंता की जड़ में झांकना होगा यानि उसके पैदा होने के कारण को जानना पड़ेगा की आखिर हम चिंता करते क्यूँ हैं?

चिंता कुछ पाने की इच्छा या कुछ खोने के डर से पैदा होती है या फिर ऐसा कहु की हमारा डर ही सभी चिंताओं को जन्म देता है और अब आप जानना नहीं चाहोगे हमें डर कब लगता है? जब हम किसी भी चीज के बारे में नहीं जानते हैं तब|

अब आप समझे आपकी अज्ञानता, गलत विश्वास तथा किसी चीज़ से जुड़े सच को नहीं जानना ही आपकी चिंता का वास्तविक कारण है और इसी सच को जानना चिंतन कहलाता है|

अब जो मैं बताने जा रहा हूँ उसे ध्यान से सुनना क्योंकि ये इस BLOG का सबसे जरूरी हिस्सा है|

जीवन में चिंताओं को कम करना है तो चिंतन को अपने जीवन में बढ़ाना होगा, क्योंकी आप अपनी हर चिंता को चिंतन से दूर कर सकते हैं|

अब सवाल उठता है, कैसे?

जितना चिंतन बढ़ेगा उतनी ही आपकी समझ बढ़ेगी और समझ बढ़ेगी तो आप अपनी समस्या से निपटने के लिए ज्यादा बेहतर और सही निर्णय ले पाओगे| सही निर्णय आपकी परिष्थिति बदल देंगे, जिससे सब कुछ सही होगा और सब सही होगा तो चिंता भी नहीं होगी|

इसी लिए कहते हैं, चिंतन आपको जीना सिखाता है और चिंता आपको पल पल मारके आपकी चिता सजाती है|

Know the actual difference between worry and concern:

निष्कर्ष:

मनुष्य रोते हुए पैदा होता है, शिकायत करते हुए जीवन बिताता है और निराश होकर अपना जीवन त्याग देता है, पर मैं आशा करता हूँ आप ऐसा नहीं करोगे|

आप वर्तमान में जीओगे, कुछ पाने और खोने की चिंता नहीं करोगे तथा अपने कर्तव्य कर्म करते हुए आज का आनंद उठाओगे|

में आशा करता हूँ आपको ये ब्लॉग useful लगा होगा, और आपको ये ब्लॉग कैसा लगा, मुझे कमेंट बॉक्स में लिख के बताना ना भूलें!

स्वस्थ रहें और खुश रहें! धन्यवाद|

Author: Ashu Pareek

Ashu Pareek is Blogger, Yoga Trainer and founder of Yoga Holism. He loves to help people to improve their daily life and fitness. He teaches how to get peace and happiness in life.

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