आपके हृदय – सरोवर में जिन शुभ या अशुभ विचारों , भद्र या अभद्र भावनाओं या उच्च अथवा निकृष्ट कल्पनाओ का प्रवाह चलता रहता है , वही अप्रत्यक्ष रूपसे आपके व्यक्तित्व का निर्माण करता रहता है । आपका एक – एक विचार, आपकी एक – एक आकांक्षा , एक – एक कल्पना वे दृढ़ आधारशिलाएँ हैं , जो धीरे – धीरे आपके गुप्त मनको बनाया करती हैं ।
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